Tuesday 22 July 2014

RJ Reynolds to pay $23.6 bn in damages to widow of chronic smoker

RJ Reynolds to pay $23.6 bn in damages to widow of                                   chronic smoker


A Florida state jury has ordered the RJ Reynolds Tobacco Company to pay $23.6 billion in punitive damages to the wife of a longtime smoker who died of lung cancer, attorneys said.Friday's verdict, seen as one of the largest for a single plaintiff in Florida history, also awarded more than $16 million in compensatory damages to the estate of Michael Johnson Sr.During the four-week trial, lawyers for Johnson's widow Cynthia Robinson argued that RJ Reynolds was negligent in informing consumers of the dangers of consuming tobacco and thus led to Johnson contracting lung cancer from smoking cigarettes.They said Johnson had become "addicted" to cigarettes and failed multiple attempts to quit smoking.The Escambia County jury returned its verdict after some 15 hours of deliberations.RJ Reynolds took a calculated risk by manufacturing cigarettes and selling them to consumers without properly informing them of the hazards,Robinson's lawyer Willie Gary said in a statement.As a result of their negligence, my client's husband suffered from lung cancer and eventually lost his life.We hope that this verdict will send a message to RJ Reynolds and other big tobacco companies that will force them to stop putting the lives of innocent people in jeopardy,the lawyer added.RJ Reynolds plans to appeal the court decision and verdict, vice president and assistant general counsel J Jeffery Raborn said.The landmark award was "far beyond the realm of reasonableness and fairness," he charged in a statement.Reynolds is confident that the court will follow the law and not allow this runaway verdict to stand,Raborn added, calling the damages grossly excessive and impermissible under state and constitutional law.

Seedless Mangoes

                           Seedless Mangoes


Indian scientists have developed what could be the ultimate delicacy - a seedless mango which is finely textured and juicy, with a rich, sweet and distinctive flavour when mature.We have developed a seedless mango variety from hybrids of mango varieties Ratna and Alphonso, V.B. Patel,chairman of the horticulture department at the Bihar Agriculture University(BAU) at Sabour in Bhagalpur district, told IANS.

Trials of the new variety, named Sindhu, are under way at different locations in the country but the result of the one at BAU suggests it could be suitable for both integrated horticulture and kitchen gardening.We are happy and enthuastic as well as confident and hopeful of improving the seedless mango variety Patel said.He said that an average fruit weighs 200 grams and its pulp, which is yellowish in colour, has less fibre than other mango varieties.

He said the trials of the Sindhu variety, originally developed at the regional fruit research station of the Konkan Krishi Vidyapeeth at Dapoli in Maharashtra's Konkan region, has thrown up good fruiting on a three-year-old plant this year. It generally grows in bunch and the fruit matures in the middle of July.BAU vice chancellor M.L. Choudhary said the university has, on an experimental basis, decided to recreate plants of this variety and make them available to Bihar's mango growers during the next season.The seedless variety also has good export potential. The university would provide quality plants to mango growers in 2015 to explot the export market.Patel said our trial has successfully established that seedless mango could be grown in local condition.

According to the National Horticulture Mission (NHM), Bihar ranks third in mango cultivation and covers about 50 percent - a little over 38,000 hectares - of the total fruit area in the state. The produce last year was in the region of 1.5 million tonnes.Malda, Mallika, Jardaloo, Gulabkhas, Bumbai, Daseri and Chausa are major mango varieties grown in the state.But, then, no longer will one be able to utter this Indian homily: "Aam khana hai ya gutli gin ni hai" losely translated as "Do you want to eat mangoes or count the seeds" but in reality meaning 'Don't look a gift horse in the mouth'.And, there are many who will lament being denied the pleasure of licking the seed clean of the fruit.

Saturday 19 July 2014

सहजन के फायदे/The advantages of drumstick

        सहजन के फायदे/The advantages of drumstick


इस वृक्ष को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यथा बंगाल में 'सजिना', महाराष्ट्र में 'शेगटा', तेलगु में 'मुनग',व हिंदी पट्टी में 'सहजन' के अलावा 'सैजन' व 'मुनग' कहा जाता है। जिसका उपयोग आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर होता है।सहजन के तीन मुख्य प्रभेद होते हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पुष्प भेद से सहजन की प्रजाति पहचानी जाती है। जिसमें लाल, काले एवं श्वेत पुष्प प्रमुख है। हालांकि, श्वेत पुष्प वाली प्रजाति का ही ज्यादा उत्पादन होता है।सहजन, सुजना, सेंजन और मुनगा या मुरुंगा अत्यंत सुंदर वृक्ष तो है ही अनेक पोषक तत्त्वों से भरपूर होने के कारण उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक भी है। मोरिंगा ओलेफेरा वानस्पतिक नाम वाला यह पौधा लगभग १० मीटर उंचाई वाला होता है किन्तु लोग इसे डेढ़-दो मीटर की ऊँचाई से प्रतिवर्ष काट देते हैं ताकि इसके फल-फूल-पत्तियों तक हाथ आसानी से पहुँच सके। सहजन के पौधे में मार्च महीने के आरंभ में फूल लगते हैं व इसी महीने के अंत तक फल भी लग जाते हैं। इसकी कच्ची-हरी फलियाँ सर्वाधिक उपयोग में लायी जातीं हैं।आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है, लेकिन आधुनिक विज्ञान ने इसके पोषक तत्वों की मात्रा खोजकर संसार को चकित कर दिया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केंद्र लखनऊ द्वारा सहजन की फली एवं पत्तियों पर किए गए नए शोध से पता चला है कि प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि उसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इसे दुनिया का सबसे उपयोगी पौधा कहा जा सकता है। यह न सिर्फ कम पानी अवशोषित करता है बल्कि इसके तनों, फूलों और पत्तियों में खाद्य तेल, जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाली खाद और पोषक आहार पाए जाते हैं।इसके फूल, फली व पत्तों में इतने पोषक तत्त्व हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्गदर्शन में दक्षिण अफ्रीका के कई देशों में कुपोषण पीडित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती व प्रसूता महिलाओं व वृद्धों के शारीरिक पोषण के लिए यह वरदान माना गया है। लोक में भी कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है। सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।  दुनिया में करोड़ों लोग भूजल का प्रयोग पेयजल के रूप में करते हैं। इसमें कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जिसके कारण लोगों को तमाम तरह की जलजनित बीमारियाँ होने की संभावना बनी रहती है। इन बीमारियों के सबसे ज्यादा शिकार कम उम्र के बच्चे होते हैं। ऐसे में सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। क्लीयरिंग हाउस के शोधकर्ता और करंट प्रोटोकाल्स के लेखक माइकल ली का कहना है कि सहजन के पेड़ से पानी को साफ करके दुनिया मे जलजनित बीमारियों से होने वाली मौतों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।सहजन की पत्ती इसके बीज से बिना लागत के पेय जल को साफ किया जा सकता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है। भारत जैसे देश में इस तकनीक की उपयोगिता असाधारण हो सकती है, जहाँ आम तौर पर ९५ फीसदी आबादी बिना साफ किए हुए पानी का सेवन करती है। दो दशक पूर्व तक सहजन का पौधा प्राय: हर गांव में आसानी से मिल जाता था। लेकिन आज इसके संरक्षण की आवश्यकता का अनुभव किया जा रहा है। इस पौधे के विरल होते जाने का कारण यह है कि इस पर भुली नामक एक कीट रहता है, जिससे अत्यंत ही खतरनाक त्वचा एलर्जी होती है। इसी भयवश ग्रामीण इस पौधे को नष्ट कर देते हैं। एक ओर जहाँ विशेषज्ञ इसे भुली से मुक्ति के उपाय खोजने में लगे हैं वहीं दूसरी ओर सहजन का साल में दो बार फलने वाला वार्षिक प्रभेद तैयार कर लिया गया है, जिससे ज्यादा फल की प्राप्ति होती है

निम्नलिखित फायदे......
* इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
* इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
* जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
* सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
* सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| 
* इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| 
* शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
* मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
* सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
* इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
* सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
* सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
* इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
* इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
* इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
* इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
* इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
* इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
* इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
* इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
* सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
* इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
* सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
* कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
* सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
* आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
* सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
* सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
* इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
* इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
* सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
* आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
* सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच आदि में उपयोगी है। 
* सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका गठियाए,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है। 
* सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है 
* सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, ]
* इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है.
* सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है। 
* सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है। 
* सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया ए जोड़ों के दर्दए वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। 
* सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। 
* इसकी  सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। 
* सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है। 
* सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है। 
* सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। 
* इसकी  पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। 
* सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है। 
* सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है। 
* सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। 
* सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है। 
* सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
* सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 
* इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। 
  यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
* सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
* सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
* सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
* सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
* सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
* सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
* सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं।
* सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है। इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है। त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष स्थान है। सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं। अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है। बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं।
* सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ताकतवर मॉश्‍चराइजर है। इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है। सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है। 
* सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
* सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।


Friday 18 July 2014

तुलसी/Basil

                                                तुलसी/Basil


तुलसी एक ऐसा पौधा है, जो कई तरह के अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर है। हिंदू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है और तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है। दरअसल, यह परंपरा यूं ही नहीं बनाई गई। जिस तरह से हमारी हर परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण है, ठीक उसी तरह घर में तुलसी लगाने और उसकी पूजा करने के पीछे भी कुछ वैज्ञानिक कारण हैं।
जब तुलसी के निरंतर प्रयोग से हमारे ऋषि-मुनियों ने यह अनुभव किया कि इस पौधे में कई बीमारियों को ठीक करने की अद्भुत क्षमता है और इसे लगाने से आसपास का माहौल भी साफ-सुथरा व स्वास्थ्यप्रद रहता है, तो उन्होंने हर घर में कम से कम एक पौधा लगाने और उसकी अच्छे से देखभाल करने को धार्मिक कर्तव्य कह कर प्रचारित किया।
धीरे-धीरे तुलसी के स्वास्थ्य प्रदान करने वाले गुणों के कारण इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि तुलसी का पूजन किया जाने लगा। दरअसल, यह मान्यता है कि जिस वस्तु का उपयोग पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है, उसका सकारात्मक प्रभाव बहुत जल्दी दिखाई पड़ता है।
तुलसी सिर्फ बीमारियों पर ही नहीं, बल्कि मनुष्य के आंतरिक भावों और विचारों पर भी अच्छा प्रभाव डालती है। बारिश के मौसम में तुुलसी के सेवन का विशेष महत्व है। जो लोग बारिश के मौसम में नियमित रूप से पांच पत्तों का सेवन करते हैं, उन्हें मौसम परिवर्तन के साथ होने वाली बीमारियां, जैसे सर्दी, खांसी और बुखार आदि नहीं होती। 
                                            त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।
                                         विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।
                                            तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।
                                          दिशो दशश्च पूतास्तुर्भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।

*यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता।
तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहां तक का वातावरण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं।
तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है। विशेषकर सर्दी, खांसी व बुखार में यह अचूक दवा का काम करती है। इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में इसे विशेष महत्व दिया गया है।

                                        हिक्काज विश्वास पाश्र्वमूल विनाशिन:।
                                        पितकृतत्कफवातघ्नसुरसा: पूर्ति: गन्धहा।।

*सुरसा यानी तुलसी हिचकी, खांसी,जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है। यह दुर्गंध भी दूर करती है।

                                    तुलसी कटु कातिक्ता हद्योषणा दाहिपित्तकृत।
                                      दीपना कृष्टकृच्छ् स्त्रपाश्र्व रूककफवातजित।।

*तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।

                                     तुलसी तुरवातिक्ता तीक्ष्णोष्णा कटुपाकिनी।
                                      रुक्षा हृद्या लघु: कटुचौहिषिताग्रि वद्र्धिनी।।

                                    जयेद वात कफ श्वासा कारुहिध्मा बमिकृमनीन।
                                    दौरगन्ध्य पार्वरूक कुष्ट विषकृच्छन स्त्रादृग्गद:।।

*तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है।
तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो, तो उसे खत्म कर दे।
शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।
तुलसी की मुख्यत: दो प्रजातियां अधिकांश घरों में लगाई जाती हैं। इन्हें  रामा और श्यामा कहा जाता है।
*रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है। इसलिए इसे गौरी कहा जाता है।
*श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है। इसमें कफनाशक गुण होते हैं। यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है।
*तुलसी की एक जाति वन तुलसी भी होती है। इसमें जबरदस्त जहरनाशक प्रभाव पाया जाता है, लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है। आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी समस्याओं में यह रामबाण दवा है।
*एक अन्य जाति मरूवक है, जो कम ही पाई जाती है। राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम करता है।
*तुलसी की एक और जाति जो बहुत उपयोगी है, वह है बर्बरी तुलसी। इसके बीजों का प्रयोग वीर्य को गाढ़ा करने वाली दवा के रूप में किया जाता है।
मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी एक कारगर औषधि है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है। जुकाम के कारण आने वाले बुखार में भी तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए।
इससे बुखार में आराम मिलता है। शरीर टूट रहा हो या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है तो पुदीने का रस और तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर लें, आराम मिलेगा।
*साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
*तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है।
*तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है।
*चार-पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है।
*शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। 
*किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। 
*फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।
*तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। 
*तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है। 
*तुलसी थकान मिटाने वाली औषधि है। बहुत थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है। 
*प्रतिदिन 4 से 5 बार तुलसी की 6 से 7 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।
*तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें। कम से कम एक-सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें। यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं।
*दिल की बीमारी में यह अमृत है। यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।



Wednesday 16 July 2014

अमरुद के फायदे/Benefits of Guava

                        अमरुद  के फायदे / Benefits of Guava


यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। अमरूद की जेली तथा बर्फी (चीज) बनाई जाती है। इसे डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है।
अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त है। यह गरमी तथा पाला दोनों सहन कर सकता है। केवल छोटे पौधे ही पाले से प्रभावित होते हैं। यह हर प्रकार की मिट्टी में उपजाया जा सकता है, परंतु बलुई दोमट इसके लिए आदर्श मिट्टी है। भारत में अमरूद की प्रसिद्ध किस्में इलाहाबादी सफेदा, लाल गूदेवाला, चित्तीदार, करेला, बेदाना तथा अमरूद सेब हैं।


*अमरूद में विटामिन सी छिलके में और उसके ठीक नीचे होता है तथा भीतरी भाग में यह मात्रा घटती जाती       है। फल के पकने के साथ-साथ यह मात्रा बढ़ती जाती है। 
अमरूद में प्रमुख सिट्रिक अम्ल है इसके छह से बारह प्रतिशत भाग में बीज होते है। 
*डायबिटीज के रोगी के लिए एक पके हुये अमरूद का भरता काफी फायदेमंद साबित होता है। अमरूद के सेवन से खून में सुगर का स्तर कम होता है। 
इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होते हैं जो शुगर पचाने और इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करते हैं। 
 *इसमें फोलेट की अच्छी मात्रा है जिससे महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ती है। जो महिलाएं मां बनने की इच्छुक हैं उन्हें हर रोज अमरूद का सेवन करना चाहिए। 
 *अमरूद में संतरे के मुकाबले चार गुना अधिक विटामिन सी होता है। विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। 
*अमरूद में मौजूद पोटैशियम शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा, यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है।
*अमरूद में आयोडीन अच्छी मात्रा में होता है जिससे थायरॉइड की समस्या में आराम होता है। इससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
*अमरूद में विटामिन बी अच्छी मात्रा में पायी जाती है। साथ ही, इसमें नायसिन भी है जो रक्त संचार बढ़ाता है जिससे दिमाग तेजी से काम करता है। 
इसके अलावा, पायरीडॉक्सीन नामक तत्व दिमाग और नसों के लिए फायदेमंद है। 
* अमरूद में लाइकोपीन टमाटर से दोगुनी मात्रा में होता है जो त्वचा का अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाव करता है और त्वचा के कैंसर से बचाता है। 
*सर्दी-जुकाम होने पर भुना हुआ अमरुद नमक व काली मिर्च के साथ खाने से जुकाम की स्थिति से छुटकारा मिलता है। इसमें मौजूद विटामिन सी जुकाम में काफी फायदेमंद साबित होता है। 
*अमरुद में पाया जाने बाला रेशा या फाइवर मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने की सबसे अच्छी दवा है तो जिन लोगों का पेट खराब रहता है वो लोग अमरुद का सेवन अवश्य करें 
*आंखों में रोशनी कम होने पर रोज एक अमरुद का सेवन करें इसमे आंखों के लिए जरूरी विटामिन ए प्रचुर मात्रा में मिलता है। 
*अगर आपके मुंह में काफी छाले हो गए हैं या फिर अक्‍सर आपको माउथ अल्‍सर की प्रॉब्‍लम बनी रहती है तो आप अमरूद की नई - नई कोमल पत्तियों को सेवन करें। इससे आराम मिलता है। 
*अमरूद बॉडी के मेटाबॉल्जिम को बैलेंस रखता है इस वजह से इसके सेवन से कब्‍ज से छुटकारा मिल जाता
है। 
 *अमरूद में विटामिन ए की मात्रा काफी होती है जो कि आंखों को स्‍वस्‍थ बनाएं रखती है। इसके अलावा अमरूद में विटामिन सी भी होता है जो बीमारियों को शरीर से दूर भगाता है। 
*अमरूद में मौजूद पौटेशियम के कारण इसके नियमित सेवन से स्‍कीन ग्‍लो करती है और कील मुंहासों से भी छुटकारा मिलता है। 
 *शरीर में मोटापे की मुख्‍य वजह बॉडी का कोलेस्‍ट्राल होता है। अमरूद में मौजूद तत्‍व शरीर से कोलेस्‍ट्रॉल को कम कर देते हैं जिससे मोटापा घट जाता है। 
*अगर किसी व्‍यक्ति को भांग का नशा भयंकर चढ़ गया हो तो उसे अमरूद के पत्‍तों का रस पिलाने से नशा कम हो जाएगा। रस की बजाय आप अमरूद के पत्‍तों को भी खिला सकते हैं बशर्ते वो नशेड़ी व्‍यक्ति उसे अच्‍छे से चबा ले।
*इसमें फोलेट की अच्छी मात्रा है जिससे महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ती है। जो  महिलाएं मां बनने की इच्छुक हैं उन्हें हर रोज अमरूद का सेवन करना चाहिए।


अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।
कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात:काल करना चाहिए। 
गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है।
फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता ।

Tuesday 15 July 2014

Monday 14 July 2014

Paan Singh Tomar's kin die in bloody clash over land in Chambal

Paan Singh Tomar's kin die in bloody clash over land in Chambal

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जौ के औषधीय गुण//// Medicinal properties of barley

                 जौ के औषधीय गुण//// Medicinal properties of barley

जौ पृथ्वी पर सबसे प्राचीन काल से कृषि किये जाने वाले अनाजों में से एक है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक संस्कारों में होता रहा है। संस्कृत में इसे "यव" कहते हैं। रूस, अमरीका, जर्मनी, कनाडा और भारत में यह मुख्यत: पैदा होता है।

जौ को भूनकर, पीसकर, उस आटे में थोड़ा-सा नमक और पानी मिलाने पर सत्तू बनता है। कुछ लोग सत्तू में नमक के स्थान पर गुड़ डालते हैं व सत्तू में घी और शक्कर मिलाकर भी खाया जाता है। गेंहू , जौ और चने को बराबर मात्रा में पीसकर आटा बनाने से मोटापा कम होता है और ये बहुत पौष्टिक भी होता है .राजस्थान
में भीषण गर्मी से निजात पाने के लिए सुबह सुबह जौ की राबड़ी का सेवन किया जाता है .

अगर आपको ब्लड प्रेशर की शिकायत है और आपका पारा तुरंत चढ़ता है तो फिर जौ को दवा की तरह खाएँ। हाल ही में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जौ से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।कच्चा या पकाया हुआ जौ नहीं बल्कि पके हुए जौ का छिलका ब्लड प्रेशर से बहुत ही कारगर तरीके से लड़ता है।

यह नाइट्रिक ऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे रसायनिक पदार्थे के निर्माण को बढ़ा देता है और उनसे खून की नसें तनाव मुक्त हो जाती हैं।
इसमें फोलिक विटामिन भी पाया जाता है। यही कारण है कि इसके सेवन से रक्तचाप मधुमेह पेट एवं मूष संबंधी बीमारी गुर्दे की पथरी याद्दाश्त की समस्या आदि से निजात दिलाता है।इसमें एंटी कोलेस्ट्रॉल तत्व भी पाया जाता है।यह उत्तर भारत के मैदानी इलाकों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और गुजरात की एक महत्वपूर्ण रबी फसल है।

इसका उपयोग औषधि के रूप मे किया जा सकता है । जौ के निम्न औषधीय गुण है :

* कंठ माला- जौ के आटे में धनिये की हरी पत्तियों का रस मिलाकर रोगी स्थान पर लगाने से कंठ माला ठीक हो जाती है।
* मधुमेह (डायबटीज)- छिलका रहित जौ को भून पीसकर शहद व जल के साथ सत्तू बनाकर खायें अथवा दूध व घी के साथ दलिया का सेवन पथ्यपूर्वक कुछ दिनों तक लगातार करते करते रहने से मधूमेह की व्याधि से छूटकारा पाया जा सकता है।
* जलन- गर्मी के कारण शरीर में जलन हो रही हो, आग सी निकलती हो तो जौ का सत्तू खाने चाहिये। यह गर्मी को शान्त करके ठंडक पहूचाता है और शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
* मूत्रावरोध- जौ का दलिया दूध के साथ सेवन करने से मूत्राशय सम्बन्धि अनेक विकार समाप्त हो जाते है।
* गले की सूजन- थोड़ा सा जौ कूट कर पानी में भिगो दें। कुछ समय के बाद पानी निथर जाने पर उसे गरम करके उसके कूल्ले करे। इससे शीघ्र ही गले की सूजन दूर हो जायेगी।
* ज्वर- अधपके या कच्चे जौ (खेत में पूर्णतः न पके ) को कूटकर दूध में पकाकर उसमें जौ का सत्तू मिश्री, घी शहद तथा थोड़ा सा दूघ और मिलाकर पीने से ज्वर की गर्मी शांत हो जाती है।
* मस्तिष्क का प्रहार- जौ का आटा पानी में घोलकर मस्तक पर लेप करने से मस्तिष्क की पित्त के कारण हूई पीड़ा शांत हो जाती है।
* अतिसार- जौ तथा मूग का सूप लेते रहने से आंतों की गर्मी शांत हो जाती है। यह सूप लघू, पाचक एंव संग्राही होने से उरःक्षत में होने वाले अतिसार (पतले दस्त) या राजयक्ष्मा (टी. बी.) में हितकर होता है।
* मोटापा बढ़ाने के लिये- जौ को पानी भीगोकर, कूटकर, छिलका रहित करके उसे दूध में खीर की भांति पकाकर सेवन करने से शरीर पर्यात हूष्ट पुष्ट और मोटा हो जाता है।
* धातु-पुष्टिकर योग- छिलके रहित जौ, गेहू और उड़द समान मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण में चार गुना गाय का दूध लेकर उसमे इस लुगदी को डालकर धीमी अग्नि पर पकायें। गाढ़ा हो जाने पर देशी घी डालकर भून लें। तत्पश्चात् चीनी मिलाकर लड्डू या चीनी की चाशनी मिलाकर पाक जमा लें। मात्रा 10 से 50 ग्राम। यह पाक चीनी व पीतल-चूर्ण मिलाकर गरम गाय के दूध के साथ प्रातःकाल कुछ दिनों तक नियमित लेने से धातु सम्बन्धी अनेक दोष समाप्त हो जाते हैं ।
* पथरी- जौ का पानी पीने से पथरी निकल जायेगी। पथरी के रोगी जौ से बने पदार्थ लें।
* कर्ण शोध व पित्त- पित्त की सूजन अथवा कान की सूजन होने पर जौ के आटे में ईसबगोल की भूसी व सिरका मिलाकर लेप करना लाभप्रद रहता है।
* आग से जलना- तिल के तेल में जौ के दानों को भूनकर जला लें। तत्पश्चात् पीसकर जलने से उत्पन्न हुए घाव या छालों पर इसे लगायें, आराम हो जायेगा। अथवा जौ के दाने अग्नि में जलाकर पीस लें। वह भस्म तिल के तेल में मिलाकर रोगी स्थान पर लगानी चाहियें।
* जौ की राख को पानी में खूब उबालने से यवक्षार बनता है जो किडनी को ठीक कर देता है |


                                 

कलौंजी/ Nigella

                                                   कलौंजी/ Nigella

कलौंजी रनुनकुलेसी कुल का झाड़ीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम “निजेला सेटाइवा” है जो लैटिन शब्द नीजर (यानी काला) से बना है, यह भारत सहित दक्षिण पश्चिमी एशियाई, भूमध्य सागर के पूर्वी तटीय देशों और उत्तरी अफ्रीकाई देशों में उगने वाला वार्षिक पौधा है जो 20-30 सें. मी. लंबा होता है। इसके लंबी पतली-पतली विभाजित पत्तियां होती हैं और 5-10 कोमल सफेद या हल्की नीली पंखुड़ियों व लंबे डंठल वाला फूल होता है। इसका फल बड़ा व गेंद के आकार का होता है जिसमें काले रंग के, लगभग तिकोने आकार के, 3 मि.मी. तक लंबे, खुरदरी सतह वाले बीजों से भरे 3-7 प्रकोष्ठ होते हैं। इसका प्रयोग औषधि, सौन्दर्य प्रसाधन, मसाले तथा खुशबू के लिए पकवानों में किया जाता है।
कलौंजी में पोषक तत्वों का अंबार लगा है। इसमें 35% कार्बोहाइड्रेट, 21% प्रोटीन और 35-38% वसा होते है। इसमें 100 ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। इसमें आवश्यक वसीय अम्ल 58% ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), 0.2% ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) और 24% ओमेगा-9 (मूफा) होते हैं। इसमें 1.5% जादुई उड़नशील तेल होते है जिनमें मुख्य निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि हैं। निजेलोन में एन्टी-हिस्टेमीन गुण हैं, यह श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है।
थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है। तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है। कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं। कलौंजी में 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं। ये प्रोटीन के घटक होते हैँ और प्रोटीन का निर्माण करते हैं। ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं। शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं।


* कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है। कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है। 
* कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है। 
* आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती.
* अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये.दो दिन में ही आराम देखिये. 
* कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं।
* हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल मिला कर लें.
* सफेद दाग और लेप्रोसीः- 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।
* एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं।
* कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।
* एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .
* याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।
* पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये ,१०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
* कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे.इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.
* किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये. 
* गैस/पेट फूलने की समस्या --50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें। अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें। सबका मिश्रण तैयार कर लें। गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाएं।

                                                     
जेफरसन फिलाडेल्फिया स्थित किमेल कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में विद्यमान थाइमोक्विनोन अग्नाशय कैंसर की कोशिकाओं के विकास को बाधित करता है और उन्हें नष्ट करता है। शोध की आरंभिक अवस्था में ही शोधकर्ता मानते है कि शल्यक्रिया या विकिरण चिकित्सा करवा चुके कैंसर के रोगियों में पुनः कैंसर फैलने से बचने के लिए कलौंजी का उपयोग महत्वपूर्ण होगा। थाइमोक्विनोन इंटरफेरोन की संख्या में वृध्दि करता है, कोशिकाओं को नष्ट करने वाले विषाणुओं से स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है, कैंसर कोशिकाओं का सफाया करता है और एंटी-बॉडीज का निर्माण करने वाले बी कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है।
                                                         
कलौंजी का सबसे ज्यादा कीटाणुरोधी प्रभाव सालमोनेला टाइफी, स्यूडोमोनास एरूजिनोसा, स्टेफाइलोकोकस ऑरियस, एस. पाइरोजन, एस. विरिडेन्स, वाइब्रियो कोलेराइ, शिगेला, ई. कोलाई आदि कीटाणुओं पर होती है। यह ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पोजिटिव दोनों ही तरह के कीटाणुओं पर वार करती है। विभिन्न प्रयोगशालाओं में इसकी कीटाणुरोधी क्षमता ऐंपिसिलिन के बराबर आंकी गई। यह फंगस रोधी भी होती है।
                                                            
कलौंजी में मुख्य तत्व थाइमोक्विनोन होता है। विभिन्न भेषज प्रयोगशालाओं ने चूहों पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला है कि थाइमोक्विनोन टर्ट-ब्यूटाइल हाइड्रोपरोक्साइड के दुष्प्रभावों से यकृत की कोशिकाओं की रक्षा करता है और यकृत में एस.जी.ओ.टी व एस.जी.पी.टी. के स्राव को कम करता है।

कई शोधकर्ताओं ने वर्षों की शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में उपस्थित उड़नशील तेल रक्त में शर्करा की मात्रा कम करते हैं।

कलौंजी दमा, अस्थिसंधि शोथ आदि रोगों में शोथ (इन्फ्लेमेशन) दूर करती है। कलौंजी में थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेत रक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में अवरोध पैदा करते हैं, सूजन कम करते हैं ओर दर्द निवारण करते हैं। कलौंजी में विद्यमान निजेलोन मास्ट कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करती है, श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला कर दमा के रोगी को राहत देती हैं।
कलौंजी में जादुई उड़नशील तेल

शोधकर्ता कलौंजी को पेट के कीड़ो (जैसे टेप कृमि आदि) के उपचार में पिपरेजीन दवा के समकक्ष मानते हैं। पेट के कीड़ो को मारने के लिए आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच सिरके के साथ दस दिन तक दिन में तीन बार पिलाते हैं। मीठे से परहेज जरूरी है।

मिस्र के वैज्ञानिक डॉ. अहमद अल-कागी ने कलौंजी पर अमेरीका जाकर बहुत शोध कार्य किया, कलौंजी के इतिहास को जानने के लिए उन्होंने इस्लाम के सारे ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्होंने माना कि कलौंजी, जो मौत के सिवा हर मर्ज को ठीक करती है, का बीमारियों से लड़ने के लिए अल्ला ताला द्वारा हमें दी गई प्रति रक्षा प्रणाली से गहरा नाता होना चाहिये। उन्होंने एड्स के रोगियों पर इस बीज और हमारी प्रति रक्षा प्रणाली के संबन्धों का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किये। उन्होंने सिद्ध किया कि एड्स के रोगी को नियमित कलौंजी, लहसुन और शहद के केप्स्यूल (जिन्हें वे कोनीगार कहते थे) देने से शरीर की रक्षा करने वाली टी-4 और टी-8 लिंफेटिक कोशिकाओं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृध्दि होती है। अमेरीकी संस्थाओं ने उन्हें सीमित मात्रा में यह दवा बनाने की अनुमति दे दी थी।

मिस्र, जोर्डन, जर्मनी, अमेरीका, भारत, पाकिस्तान आदि देशों के 200 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 1959 के बाद कलौंजी पर बहुत शोध कार्य हुआ है। मुझे पता लगा कि 1996 में अमेरीका की एफ.डी.ए. ने कैंसर के उपचार, घातक कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ करने के लिए कलौंजी से बनी दवा को पेटेंट पारित किया था। कलौंजी दुग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है। कलौंजी जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है। कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है। लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फायदा पहुंचाती हैं। दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है। यह बवासीर, पाइल्स, मोतिया बिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है। कलौंजी को विभिन्न बीमारियों में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है।

New Delhi To Katra train service from today

    ====   New Delhi To Katra train service from today  ====

The first superfast New Delhi-Katra train called "Shri Shakti Express" will start from New Delhi and Katra railway stations on Monday evening.Indian railway sources told "Shri Shakti Express" will leave New Delhi railway station at 5.30 pm Monday and reach Mata Vaishno Devi railway station (Katra) at 5.10 am Tuesday.Katra is the base camp town of the Mata Vaishno Devi Shrine which is visited by millions of devotees from all over the country each year.The superfast air-conditioned 18-coach train will cover the distance between Katra town in Reasi district of Jammu region and New Delhi in approximately 12 hours.The train will leave Katra at 10.55 pm Monday and reach New Delhi at 10.45 am Tuesday.Railway sources said the operations of "Shri Shakti Express" train service will start from Delhi and Katra the same day."Shri Shakti Express" train has one first class AC, five AC two-tier and nine AC three-tier coaches.The train will stop at Ambala, Ludhiana, Jalandhar, Pathankot, Jammu and Udhampur.Indian railway sources told  the next train to be started from Katra town would be the "Katra-Kalika" express.Prime Minister Narendra Modi flagged off the first train from Katra town to Udhampur town in Jammu region of the state on July 4.

172 people in Gaza have been killed

             ***********    172 people in Gaza have been killed   ***********

Israel's military says it has downed an unmanned drone along its southern coastline, the first time it has encountered an unmanned aircraft since its offensive on Gaza began seven days ago.Hamas, the group that runs Gaza, said its armed wing had sent several drones to carry out "special missions" deep inside Israel - a development which, if confirmed, would mark a step up in the sophistication of its arsenal. The military said in a tweet that the drone came from Gaza and that it was shot down on Monday by a patriot missile near the southern city of Ashdod.The force said it was trying to locate debris in the area about 25kms north of Gaza, and determine whether it had carried explosives.Since the seven-day-old Gaza offensive began, 172 Palestinians - including 29 children and 19 women - have been killed and 1,230 wounded, according to emergency services.About 17,000 people have taken shelter in premises owned by the UN agency for Palestinian refugees, UNRWA, the agency said in a statement.Hamas have fired nearly 1,000 rockets at Israel, causing some injuries and damage to property, but no fatalities.Early on Monday, aircraft struck three training facilities of Hamas's military wing, the Qassam Brigades, around Gaza's coastal territory but caused no casualties, medics and eyewitnesses said.They also hit buildings in Gaza City, Deir el-Balah in the southern part of the strip, and in the northern town of Jabaliya, injuring an unspecified number of people.There was shelling reported in Beit Lahiya, in the far north of the strip, where Israel had earlier warned residents of an impending assault.US Secretary of State John Kerry phoned Israeli prime minister, Benjamin Netanyahu, to renew a US offer to help mediate a truce. He highlighted the US concern about escalating tensions on the ground," a senior State Department official said.Kerry also said that he was engaged with regional leaders 


Israel has been building up its troops along the border with northern Gaza, fuelling speculation of a possible ground invasion.Defending Israel's actions, Prime Minister Benjamin Netanyahu told US broadcaster.The IDF says it has so far struck some 1,320 "terror" sites across Gaza, while Hamas has launched more than 800 rockets at Israel.At least three Israelis have been seriously injured since the violence erupted, but no Israelis have been killed by the attacks.A Palestinian health ministry spokesman has said 1,260 people have been injured in Gaza.France on Sunday again condemned the Hamas rocket attacks, but also called on Israel to "show restraint" in its Gaza campaign and avoid civilian casualties.Germany is sending Foreign Minister Frank-Walter Steinmeier to Israel on Monday for talks with Israelis and Palestinians to help negotiate an end to the violence.The UN Security Council has called for a ceasefire and renewed peace talks between Israel and the Palestinians.Rocket fire and air strikes increased after the abduction and killing of three Israeli teenagers in June and the suspected revenge killing of a Palestinian teenager in Jerusalem.Israel and militants in Gaza fought an eight-day war in November 2012, which ended with a truce.


Friday 11 July 2014

World's highest railway bridge,being built in the Himalayas

World's highest railway bridge,being built in the Himalayas
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Indian engineers are toiling in the Himalayas to build the world's highest railway bridge which is expected to be 35 meters taller than the Eiffel Tower when completed by 2016.The arch-shaped steel structure is being constructed over the Chenab River to link sections of the spectacular mountainous region of India's northern Jammu and Kashmir state. The bridge is expected to be 359 meters (1,177 feet) high when completed, surpassing the world's current tallest railway bridge over the Beipanjiang River in China's Guizhou province, which stands at 275 meters high. And a span width of 236 meters was built in 2001 with the construction of the Shuibai Railway.

It is an engineering marvel. We hope to get this bridge ready by December 2016, a senior Indian Railways official told. The design would ensure that it withstands seismic activities and high wind speeds. Work on the bridge started in 2002 but safety and feasibility concerns, including the area's strong winds, saw the project halted in 2008 before being green-lighted again two years later. The estimated cost of the project, which is being handled by Konkan Railway Corporation, a subsidiary of state-owned Indian Railways, is $92 million.
The bridge will connect Baramulla to Jammu in the Himalayan state with a travel time of six-and-a-half hours, almost half the time it currently takes. The main arch is being erected using two cable cranes attached on either side of the river which are secured on enormous steel pylons, according to engineers of the project. 1,315-metre long bridge will use up to 25,000 tons of steel with some material being transported by helicopters due to the tough terrain. One of the 


चोकर Bran

                                  चोकर    Bran

गेंहूँ के छिलके को चोकर कहते है  इसमे सब्जियां के के फुजला ( फोक ) से ही अधिक रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है, साथ ही लोह, कैल्शियम और विटामिन 'बी' पर्याप्त मात्र में पाए जाते है जो क्रमश: रक्त बढ़ने, हड्डियों को मजबूत करने और भूख बढ़ने में सहायक सिद्ध होते है । पुराने समय में अनाज घर में ही पिसा जाता था, हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है, उसमे चोकर नाम मात्र होता है उसको भी बारीक़ छाननी से निकाल फेंक दिया जाता है, बहुत महीन बारीक़ आटे का प्रयोग करने से कब्ज का होना सामान्य बात है जब तक चोकर रहित आटे का उपयोग किया जाता रहेगा तब तक कब्ज से छुटकारा मिलना मुश्किल है । आटे में चोकर आवश्यक ! यदि घर में संभव न हो तो बाहर कि चक्की में मोटा आटा पिसवाना चाहिए, और उसे छाने बिना ही उपयोग में लेना चाहिए ! आटा गूँथ कर रखे इसके एक घंटे के बाद रोटी बनाये, इससे चोकर के कण फुल जाते है, और रोटी स्वादिष्ट बनती है, फूलने पर चोकर पानी सोख कर नरम हो जाता है 

चोकर से कब्ज दूर होती है | यह आँतों में से आसानी से मल का निस्तारण करता है अतः इसके सेवन से मरोड़ की समस्या दूर हो जाती है | मोटापा घटाने में भी चोकर सहायता करता है क्यूंकि चोकर युक्त रोटी के सेवन से भोजन में कमी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती और वजन कम हो जाता है | चोकर के सेवन से आँतों की बीमारी नहीं होती तथा यह भगंदर व बवासीर आदि रोगों से भी शरीर की रक्षा करता है | यह आमाशय के घाव ठीक करता है तथा हृदय रोगों और कोलेस्ट्रोल से भी शरीर की रक्षा करता है | चोकर पेट के अंदर के मल को भी साफ़ करता है,इसी कारण से चोकर का सेवन करने वाले का मन तथा दिमाग शांत रहता है |
चोकर विटामिन बी, रिबोफ्लेविन, नैक्सिन, थाईमाइन, विटामिन-ई और विटामिन-के जैसे पोषक तत्वों का प्रमुख स्रोत होता है। चोकर फाईबर का भी प्रमुख स्रोत है। फाईबर शरीर में पाए जाने वाले कोलोन नाम के विषैले तत्व को सोखने का काम करता है। यह शरीर का वजन कम करने में मददगार होता है। एक कप चोकर में शरीर को 25 ग्राम फाईबर मिलता है। कब्ज के मरीजों के लिए चोकर काफी फायदेमंद होता है। चोकर जैसे फाईबरयुक्त खाद्य वस्तु का इस्तेमाल करने से कब्ज जैसी समस्या की आशंका कम हो जाती है। महिलाओं में एस्ट्रोजेन, स्तन कैंसर का प्रमुख कारण होता है, जो स्तन में ट्यूमर को बढ़ाता है। चोकर शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बढऩे से रोकता है। चोकर का नियमित इस्तेमाल करने से हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है। चोकर में भारी मात्रा में साईटिक एसिड होता है। यह एंटी-ऑक्सिडेंट होता है। महिलाओं द्वारा फाईबरयुक्त खाद्य वस्तुएं कम मात्रा में लेने के कारण, पित्ताशय में स्टोन होने का खतरा बढ़ जाता है। चोकर से शरीर में फाईबर की मात्रा बढ़ती है और स्टोन के खतरे पर अंकुश लगता है। बच्चों में अस्थमा रोकने में भी चोकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चोकर में ओमेगा जैसे वसा पाए जाते हैं, जो कार्डियाक, साकारात्मक सोच, लचीलापन आदि बढ़ाने में सहयोगी होते हैं। चोकर मैग्निशियम का भी प्रमुख स्रोत है। अन्य एंजाईमों के सहयोग से यह इंसुलिन के स्राव और ग्लूकोज के उपयोग में मदद करता है। इससे डायबिटिज का खतरा कम हो जाता है। चोकर से कई अन्य तरह के पोषक तत्व भी मिलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।

Wednesday 9 July 2014

Israeli army carries out 160 airstrikes in Gaza overnight

Israeli army carries out 160 airstrikes in Gaza overnight

The Israeli army carried out 160 airstrikes in Gaza overnight, escalating bombardment that has killed at least 27 Palestinians and wounded more than 100.
Local media reported on Wednesday morning that one of the airstrikes targeted the house of a commander in the Qassam Brigades, the military wing of Hamas.
An unknown number of casualties were reported.Another blew up the house of Hafez Hamad, a leader of the military wing of Islamic Jihad.
He was killed along with at least four women and children, according to neighbours and hospital officials.
The Israeli cabinet has authorised the army to call up 40,000 reservists. Only a fraction of them have so far been mobilised, though officials hinted at a lengthy campaign in Gaza.
We are preparing for a battle against Hamas which will not end within a few days," defence minister, Moshe Yaalon, said on Tuesday.
Four rockets were launched from Gaza into Israel between midnight and sunrise, the army said, three of them at the southern city of Be’er Sheva.
A salvo of five rockets was fired at Tel Aviv during the morning rush hour. Most of them were intercepted by the Iron Dome system, and could be heard exploding south and east of the city centre.The Qassam Brigades, the military wing of Hamas, claimed responsibility for the attack, saying they fired M-75s, a locally-made model with an 80km range.
One rocket was also fired overnight at Hadera, about 100km from Gaza, the longest-range strike yet.Five members of Hamas were also killed in a makeshift naval commando attack on a military base in Zikim, near the southern city of Israel.
There were clashes overnight throughout the occupied West Bank between Palestinians and Israeli troops. At least six people were injured near Ramallah, and protests were also reported in Bethlehem and Hebron.
A video statement released by Hamas detailed several conditions for ending the rocket fire, including the release of dozens of prisoners detained in recent weeks.
The group also demanded that Israel stop trying to "sabotage" a reconciliation deal between Hamas and Fatah announced in April.
Israel has detained nearly 900 Palestinians in raids since June 12, when three teenage settlers were kidnapped while hitchhiking home from their religious seminary in the occupied West Bank.
The detainees include dozens of people who were released in 2011 as part of the deal to free Gilad Shalit, an Israeli soldier who was captured by Hamas.
The Arab League said that it would call for an emergency meeting of the United Nations Security Council to discuss the situation.

दूब घास (दुर्वा) Cynodon dactylon

                          दूब घास (दुर्वा) Cynodon dactylon


दूब या 'दुर्वा'  वर्ष भर पाई जाने वाली घास है, जो ज़मीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढती है। हिन्दू धर्म में इस घास को बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग बहुत किया जाता है। इसके नए पौधे बीजों तथा भूमीगत तनों से पैदा होते हैं। वर्षा काल में दूब घास अधिक वृद्धि करती है तथा वर्ष में दो बार सितम्बर-अक्टूबर और फ़रवरी-मार्च में इसमें फूल आते है। दूब सम्पूर्ण भारत में पाई जाती है। यह घास औषधि के रूप में विशेष तौर पर प्रयोग की जाती है।

प्रायः जो वस्तु स्वास्थ्य के लिए हितकर सिद्ध होती थी, उसे हमारे पूर्वजों ने धर्म के साथ जोड़कर उसका महत्व और भी बढ़ा दिया। दूब भी ऐसी ही वस्तु है। यह सारे देश में बहुतायत के साथ हर मौसम में उपलब्ध रहती है। दूब का पौधा एक बार जहाँ जम जाता है, वहाँ से इसे नष्ट करना बड़ा मुश्किल होता है। इसकी जड़ें बहुत ही गहरी पनपती हैं। दूब की जड़ों में हवा तथा भूमि से नमी खींचने की क्षमता बहुत अधिक होती है, यही कारण है कि चाहे जितनी सर्दी पड़ती रहे या जेठ की तपती दुपहरी हो, इन सबका दूब पर असर नहीं होता और यह अक्षुण्ण बनी रहती है।
दूब को संस्कृत में 'दूर्वा', 'अमृता', 'अनंता', 'गौरी', 'महौषधि', 'शतपर्वा', 'भार्गवी' इत्यादि नामों से जानते हैं। दूब घास पर उषा काल में जमी हुई ओस की बूँदें मोतियों-सी चमकती प्रतीत होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में हरी-हरी ओस से परिपूर्ण दूब पर भ्रमण करने का अपना निराला ही आनंद होता है। पशुओं के लिए ही नहीं अपितु मनुष्यों के लिए भी पूर्ण पौष्टिक आहार है दूब। महाराणा प्रताप ने वनों में भटकते हुए जिस घास की रोटियाँ खाई थीं, वह भी दूब से ही निर्मित थी | अर्वाचीन विश्लेषकों ने भी परीक्षणों के उपरांत यह सिद्ध किया है कि दूब में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। दूब के पौधे की जड़ें, तना, पत्तियाँ इन सभी का चिकित्सा क्षेत्र में भी अपना विशिष्ट महत्व है। आयुर्वेद में दूब में उपस्थित अनेक औषधीय गुणों के कारण दूब को 'महौषधि' में कहा गया है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है। विभिन्न पैत्तिक एवं कफज विकारों के शमन में दूब का निरापद प्रयोग किया जाता है। दूब के कुछ औषधीय गुण निम्नलिखित हैं
                                              
1- संथाल जाति के लोग दूब को पीसकर फटी हुई बिवाइयों पर इसका लेप करके लाभ प्राप्त करते हैं।
2 -इस पर सुबह के समय नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढती है और अनेक विकार शांत हो जाते है।
3- दूब घास शीतल और पित्त को शांत करने वाली है।
4- दूब घास के रस को हरा रक्त कहा जाता है, इसे पीने से एनीमिया ठीक हो जाता है।
5- नकसीर में इसका रस नाक में डालने से लाभ होता है।
6- इस घास के काढ़े से कुल्ला करने से मुँह के छाले मिट जाते है।
7- दूब का रस पीने से पित्त जन्य वमन ठीक हो जाता है।
8- इस घास से प्राप्त रस दस्त में लाभकारी है।
9- यह रक्त स्त्राव, गर्भपात को रोकती है और गर्भाशय और गर्भ को शक्ति प्रदान करती है।
10- दूब को पीस कर दही में मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है।
11- इसके रस को तेल में पका कर लगाने से दाद, खुजली मिट जाती है।
12- दूब के रस में अतीस के चूर्ण को मिलाकर दिन में दो-तीन बार चटाने से मलेरिया में लाभ होता है।
13- इसके रस में बारीक पिसा नाग केशर और छोटी इलायची मिलाकर सूर्योदय के पहले छोटे बच्चों को नस्य दिलाने से वे तंदुरुस्त होते है।