Monday 17 November 2014

सिंघाडा

                                                                 सिंघाडा 


*इन रोगों में उपयोगी है सिंघाडा .....
*जिन महिलाओं का गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गर्भ गिर जाता है उन्हें खूब सिंघाड़ा खाना चाहिए। इससे भ्रूण को पोषण मिलता है और मां की सेहत भी अच्छी रहती है जिससे गर्भपात नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिंघाड़ा खाना चाहिए। खासतौर पर जिनका गर्भ सात महीने का हो चुका है उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद होता है। इसे खाने से ल्यूकोरिया नामक रोग भी ठीक हो जाता है।
* इसके सेवन से भ्रूण को पोषण मिलता है और वह स्थिर रहता है। सात महीने की गर्भवती महिला को दूध के साथ या सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है। सिंघाड़े के नियमित और उपयुक्त मात्र में सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ व सुंदर होता है ..
*कच्चे सिंघाड़े में बहुत गुण रहते हैं। कुछ लोग इसे उबालकर खाते हैं। दोनों रूपों में यह स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है। सुपाच्य भी तो होता है।
* सिंघाड़ा की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मी से जुड़े रोगों में लाभकर होता है।
*हेल्दी त्वचा के लिए सिंघाड़े में विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा की सेहत और खूबसूरती बरकरार रखने में बेहद मददगार है। इसे सलाद के रूप में सर्दियों में नियमित खाने से आपकी त्वचा निखरेगी और ड्राइनेस की समस्या नहीं होगी।
*टांसिल्स होने पर भी सिंघाड़े का ताजा फल या बाद में चूर्ण के रूप में खाना ठीक रहता है।साथ ही गले के दूसरे रोग जैसे- घेंघा, तालुमूल प्रदाह, तुतलाहट आदि ठीक होता है।
* लू लगने पर सिंघाड़े का चूर्ण ताजे पानी से लें। गर्मी के रोगी भी इसके चूर्ण को खाकर राहत पाते हैं।
* यह थायरोइड के लिए बहुत अच्छा है. सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स थायरॉइड और घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
* यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है।
* पेशाब के रोगियों के लिए सिंघाड़े का क्वाथ बहुत फायदा देता है।
* प्रमेह के रोग में भी सिंघाड़ा आराम देने वाला है। सिंघाड़े को ग्रंथों में श्रृंगारक नाम दिया जाता है। यह विसर्प रोग में लेने पर हमें रोग मुक्त कर देता है।
* प्यास बुझाने का इसका गुण रोगों में बहुत राहत देता है। प्रमेह के रोगी भी सिंघाड़ा या श्रृंगारक से आराम पा लेते हैं।
*नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को दाद पर घिसकर लगाएँ। पहले तो कुछ जलन लगेगी, फिर ठंडक पड़ जाएगी। कुछ दिन इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
* सिंघाड़े के पाउडर में मौजूद स्टार्च पतले लोगों के लिए वरदान साबित होती है। इसके नियमित सेवनसे शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
* एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत
हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े न खाएं।
*एड़ियां फटने की समस्या शरीर में मैगनीज की कमी के कारण से होता है। सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जिसमें पोषक तत्वों से मैगनिज एब्ज़ार्ब करने की क्षमता है। इसे खाने से शरीर में रक्त की कमी भी दूर होती है।

* गर्भाशय की निर्बलता से गर्भ नहीं ठहरता, गर्भस्त्राव हो जाता हो तो कुछ सप्ताह ताज़े सिंघाड़े खाने से लाभ होता है।
* सिंघाड़े की रोटी खाने से रक्त- प्रदर ठीक हो जाता है। खून की कमी वाले रोगियों को सिंघाड़े के फल का सेवन खूब करना चाहिए।
* सिघांड़े के आटे को घी में सेंक ले | आटे के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है| गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी गोलियाँ खिलायें |