Tuesday 8 July 2014

ब्लैकबेरी Z3

                                      ब्लैकबेरी Z3

Z3 ब्लैकबेरी 10 पर चलने वाला पहला बजट डिवाइस है और इसे फॉक्सकॉन ने बनाया है। हालांकि इसमें हार्डवेयर के मामले में थोड़ी कटौती की गई है, फिर भी यह फुल ब्लैकबेरी 10 एक्स्पीरियंस देता है। लेकिन क्या Z3 ब्लैकबेरी को डूबने से बचा पाएगा? जानते की कोशिश करते हैं इस रिव्यू में...




ब्लैकबेरी Z3 को बनाने में काफी हद तक प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन हमें इसकी बनावट और बिल्ड क्वॉलिटी से कोई दिक्कत नहीं हुई। निसंदेह यह फोन सॉलिड और टिकाऊ लगता है, लेकिन 164 ग्राम वजन के साथ यह थोड़ा भारी भी है।
इसमें सामने 5 इंच का डिस्प्ले है, जिसके नीचे ब्लैकबेरी का लोगो है। इयरपीस ग्रिल ऊपर की तरफ है। बाकी ब्लैकबेरी 10 फोन्स से अलग इसमें पावर, म्यूट और वॉल्यूम बटन बाईं तरफ हैं।



पावर बटन तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल काम है, लेकिन बटन अच्छे से काम करते हैं। किसी ब्लैकबेरी 10 डिवाइस में पहली बार माइक्रो-यूएसबी पोर्ट नीचे की तरफ दिया गया है। बाएं किनारे पर फ्लैप है, जिसके नीचे माइक्रो-सिम और माइक्रो-एसडी कार्ड स्लॉट्स हैं। पीछे की तरफ टेक्चर्ड प्लास्टिक पैनल है, जिससे फोन पर पकड़ बढ़िया बनती है। पीछे की तरफ 5 मेगापिक्सल कैमरा, ब्लैकबेरी लोगो और एक स्पीकर ग्रिल है। यहां 5 मेगापिक्सल कैमरा, ब्लैकबेरी लोगो और एक स्पीकर ग्रिल है।
कुल मिलाकर ब्लैकबेरी Z3 टिकाऊ महसूस होता है, भले ही कंपनी ने इसमें प्रीमियम मटीरियल्स का इस्तेमाल न किया हो।
ब्लैकबेरी Z3 में 5 इंच का एलसीडी डिस्प्ले (540x960p) है। कंपनी के मुताबिक फोन में पिक्सलेशन रोकने के लिए रेजॉलूशन बढ़ाने की टेक्नॉलजी इस्तेमाल की गई है, जिससे इस पर ऐप्स ब्लैकबेरी Z30 की तरह 720p रेजॉलूशन जैसे चलेंगे। हालांकि टेक्स्ट और ग्राफिक्स इस पर ब्लैकबेरी Z10 और Z30 जितने अच्छे नहीं दिखते। हमें कुछ पिक्सलेशन भी दिखाई दिया।



इसका डिस्प्ले महंगे ब्लैकबेरी 10 डिवाइसेज़ जितना ब्राइट नहीं लगता और इसका असर धूप में पढ़े जाने पर भी दिखता है। व्यूइंग ऐंगल्स अच्छे हैं। कुल मिलाकर हमें लगता है कि इस फोन को 720p डिस्प्ले वाला होना चाहिए, खासकर इस कीमत पर।
ब्लैकबेरी Z3 में पीछे की तरफ एलईडी फ्लैश के साथ ऑटोफोकस वाला 5 मेगापिक्सल का कैमरा है। 1.1 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा है। इसमें टाइम शिफ्ट कैमरा फीचर है, जिससे आप तस्वीर के किसी खास हिस्से को आगे-पीछे के वक्त के हिसाब से बदल कर अपनी तस्वीर बेहतर बना सकते हैं। इसमें कई फिल्टर भी हैं। हालांकि ऐप में बहुत गहराई से कंट्रोल करने के लिए सेटिंग्स नहीं हैं।


                                           सॉफ्टवेयर

ब्लैकबेरी Z3 कंपनी के लेटेस्ट ब्लैकबेरी 10 ओएस वर्ज़न 10.2.1 पर चलता है। इसमें प्रायॉरिटी हब है, जो सभी जरूरी इंटरऐक्शन, अडिशनल टूगल्स और सेटिंग्स एक ही जगह दिखाता है। सबसे खास बात यह है कि इस पर ऐंड्रॉयड ऐप्स भी इंस्टॉल किए जा सकते हैं।
जी हां, आप इंटरनेट और अमेज़न ऐप स्टोर या 1मोबाइल मार्केट जैसे थर्ड पार्टी ऐंड्रॉयड ऐप स्टोर से APK (ऐंड्रॉयड ऐप इंस्टॉलेशन) फाइल्स डाउनलोड करके इंस्टॉल कर सकते हैं।
इसका ऑपरेटिंग सिस्टम स्वाइप जेस्चर पर काम करता है और इसमें नैविगेशन के लिए कोई ऑनलाइन या हार्डवेयर बटन नहीं है। आप नीचे से ऊपर की तरफ स्वाइप करके किसी ऐप को मिनिमाइज़ या बंद कर सकते हैं। ऊपर से नीचे की तरफ स्वाइप करके अडिशनल सेटिंग्स तक पहुंचा जा सकता है। स्क्रीन को अनलॉक करने के लिए भी स्वाइप करना पड़ता है। फोन में एक ट्यूटोरियल ऐप है, जिससे यूज़र इसके जेस्चर के बारे में सीख सकते हैं।
ब्लैकबेरी Z3 की बड़ी स्क्रीन पर सॉफ्टवेयर अच्छे से काम करता है और बेहतरीन एक्स्पीरियंस होता है। लेकिन अगर आप ऐंड्रॉयड, विंडोज़ फोन या आईओएस डिवाइस इस्तेमाल करते रहे हैं, जिनमें अलग से होम बटन्स होते हैं, तो आपको इसे सीखने के लिए थोड़ा वक्त देना पड़ेगा।



इसका यूआई (यूज़र इंटरफेस) हब, ऐक्टिव पेन और ऐप पैनल में बंटा हुआ है। हब में हर तरह के मेसेज और नोटिफिकेशन रहते हैं। ऐक्टिव पेन पिछले खोले गए 4 ऐप को विजट फॉर्मैट में दिखाता है, जिससे एक झलक में थोड़ी जानकारी मिल जाती है। ऐप लिस्ट में इंस्टॉल किए गए सभी ऐप्स के आइकन दिखते हैं।
हमें इंटरफेस पसंद आया। हब खास तौर पर पसंद आया, जिसके जरिए कई ईमेल और मेसेजिंग अकाउंट्स को बहुत आसानी से मैनेज किया जा सकता है। आप ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन और फोरस्क्वेयर जैसे अपने सभी सोशल नेटवर्किंग अकाउंट्स को हब से जोड़ सकते हैं।
रोचक बात यह है कि इसमें ईमेल के लिए अलग से कोई ऐप नहीं है। टेक्स्ट मेसेज के लिए एक ऐप शॉर्टकट है, जो आपको हब में ले जाता है। ब्लैकबेरी मेसेंजर और वॉट्सऐप अलग से ऐप्स की तरह चल सकते हैं और हब के जरिए भी।
हमने जितने सॉफ्ट कीबोर्ड्स इस्तेमाल किए हैं, उनमें से सबसे अच्छे कीबोर्ड्स में ब्लैकबेरी 10 कीबोर्ड शामिल है। यह प्रिडिक्टिव कीबोर्ड है, जो यूज़र की टाइपिंग स्टाइल के हिसाब से काम करता है और टाइप करते हुए खुद से सजेशन देता है। आप प्रिडिक्शंस पाने के लिए 'इन-लेटर' और 'इन-कॉलम' स्टाइल में चुनाव कर सकते हैं, कि कीबोर्ड के ऊपर आपको किस तरह प्रिडिक्शंस मिलें। यह हिंग्लिश (रोमन स्क्रिप्ट में हिंदी) और हिंदी के लिए भी बढ़िया काम करता है। वास्तव में यह हिंदी में टाइप करने के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि आपको मात्राओं और हलन्त आदि को खोजने नहीं पड़ता है।
गूगल सर्विसेज़ या अमेज़न सर्विसेज़ के सहारे चलने वाले ऐप्स को छोड़कर बाकी ऐंड्रॉयड ऐप्स इस पर बढ़िया चलते हैं, हालांकि इनमें कहीं-कहीं लैग (रुकावट या धीमापन) दिखता है। ये एक ऐप प्लेयर में चलते हैं, जिसमें एक बैक बटन है। आप प्लेयर के यूआई एलिमेंट्स को छिपा सकते हैं, लेकिन आपको कुछ ऐप्स के नैविगेशन में दिक्कत आ सकती है।फोन के हार्डवेयर या अक्सेसरीज़ (ब्लूटूथ, हेडसेट, कैमरा) का इस्तेमाल करने वाले ऐंड्रॉयड ऐप्स ऐंड्रॉयड फोन जितना स्मूद काम नहीं करते हैं।
ईमानदारी से कहें, तो ब्लैकबेरी Z3 एक ऐंड्रॉयड फोन का स्थानापन्न (सब्स्टिट्यूट) नहीं है। एक ब्लैकबेरी यूज़र होने पर भी आपसे अपने पसंदीदा ऐंड्रॉयड ऐप्स (इंटाग्राम, ज़ाइट, फ्लिपबोर्ड और ऐसे ही ऐप्स) नहीं छूटेंगे, लेकिन इनका एक्स्पीरियंस ऐंड्रॉयड फोन पर इस्तेमाल जितना अच्छा नहीं है।

                               हार्डवेयर और परफॉर्मेंस

ब्लैकबेरी Z3 में 1.2 गीगाहर्त्ज क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन 400 (MSM8230) ड्यूल-कोर प्रोसेसर और 1.5 जीबी रैम है। हमें होम स्क्रीन के जरिए हब, ऐक्विट पेन और ऐप पैनल के नैविगेशन और ऐप्स के बीच आने-जाने में कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई।
ऐक्विट पेन केवल 4 ऐप्स को सपॉर्ट करता है। इसका मतलब यह है कि यूज़र एक वक्त में बैकग्राउंड में केवल 4 ऐप्स चला सकता है। ब्लैकबेरी Z10 और Z30 फोन्स 8 खुले ऐप्स सपॉर्ट करते हैं। हो सकता है कि इसे घटाने का मकसद फोन को धीमा होने से बचाना हो।
हमने अमेज़न ऐप्सस्टोर डाउनलोड किया और उसके जरिए कुछ ऐंड्रॉयड ऐप्स डाउनलोड किए। चूंकि ऐप्स एक खास रनटाइम पर चलते हैं, इसलिए इनकी परफॉर्मेंस ब्लैकबेरी 10 ऐप्स जितनी अच्छी नहीं थी। इंस्टाग्राम, शाज़म और ट्यूनइन रेडियो जैसे ऐंड्रॉयड ऐप्स लोड होने में टाइम लेते हैं और इनके बीच स्विच करना भी बहुत स्मूद नहीं है।
इस स्मार्टफोन में 8 जीबी स्टॉरेज है और 32 जीबी तक माइक्रो-एसडी कार्ड सपॉर्ट करने वाला स्लॉट है। इसमें 2500mAh बैटरी है। कंपनी का दावा है कि इससे 15.5 घंटे तक का टॉकटाइम और 16.2 घंटे तक का स्टैंडबाई टाइम मिलेगा। हमारे मामले में औसत से ज्यादा इस्तेमाल के बीच फोन पूरे दिन (12-14 घंटे) चला। अगर आप कम इस्तेमाल करेंगे, तो आपको और बेहतर बैटरी लाइफ मिल सकती है।
इस पर बिना किसी दिक्कत के ज्यादातर विडियो (फुच-एचडी के साथ) और ऑडियो फाइल्स चल गईं। फोन की कॉल क्वॉलिटी और सिग्नल पकड़ने की क्षमता अच्छी है। इसका जीपीएस भी अच्छा काम करता है।
फोन के एक्सटर्नल स्पीकर से तेज स्टीरियो साउंड आता है और साउंड क्वॉलिटी भी अच्छी है। Z3 के साथ अच्छा इयरफोन भी मिलता है।
फोन पिछले हिस्से पर रखे होने के दौरान आवाज थोड़ी दब जाती है। यह दिक्कत पिछले हिस्से में स्पीकर के डिजाइन वाले सभी स्मार्टफोन्स के साथ है।इसमें एफएम रेडियो भी है, लेकिन इसकी रिकॉर्डिंग नहीं की जा सकती। एफएम रेडियो फीचर म्यूज़िक ऐप में छिपा हुआ है।




जानें, किस बीमारी में कौन सा पौधा है काम का


जानें, किस बीमारी में कौन सा पौधा है काम का

Photo - जानें, किस बीमारी में कौन सा पौधा है काम का
कई बार हमारी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज हमारे किचन गार्डन या फिर आस-पास मौजूद गार्डन में ही होता है, लेकिन इन चीजों का पता न होने के कारण हम इनका फायदा नहीं उठा सकते। आइए, जानें किन पौधे में है कौन सा औषधीय गुण और आप अपनी किस बीमारी के लिए कर सकते हैं इसका इस्तेमाल...
एलोवेरा को चित्र कुमारी, घृत कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह गूदेदार और रसीला पौधा होता है। एलोवेरा के रस को अमृत तुल्य बताया गया है। आइए जानें, इसे आप अपनी किन शारीरिक समस्याओं के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले तो यह बता दें कि इसका इस्तेमाल आपको लंबे समय तक जवां बनाए रखता है। इस पौधे का रस ही सबसे अहम हिस्सा है, जिसे एलो जेल के नाम से जाना जाता है और इसे पीने से आप खुद को स्वस्थ्य और तरोजाता महसूस करेंगे। वैसे तो इसका रस बालों में लगाने से बाल काले, घने और नर्म रहते हैं, लेकिन कहते हैं कि यह गंजेपन को भी दूर करने की ताकत रखता है। सर्दी-खांसी में भी इसका रस औषधि का काम करता है। इसके पत्ते को भूनकर रस निकाल लें और फिर इसका आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी के साथ लेना फायदेमंद बताया जाता है। फोड़े-फुंसी पर भी यह गजब का असर करता है। इसके अलावा मुहांसे, फटी एड़ियां, सन बर्न, आंखों के चारों ओर काले धब्बे को भी यह दूर करता है। इन सबके अलावा बवासीर, गठिया रोग, कब्ज और हृदय रोग तथा मोटापा आदि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

Photo - जानें, किस बीमारी में कौन सा पौधा है काम का
पत्थरचट्टा:यदि पेट में पथरी है तो यह आपके काम आ सकता है। इसके दो पत्तों को अच्छी तरह से धोकर सुबह सवेरे खाली पेट गर्म पानी के साथ चबा के खाएं, एक हफ्ते के अन्दर पथरी को यह खत्म कर देता है। इसके बाद अल्ट्रासाउंड या सिटी स्कैन जरूर करा लें। पत्थरचट्टा के एक चम्मच रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है। यह पथरी के अलावा सभी तरह के मूत्र रोग में लाभदायक होता है।

Photo - मस्तिष्क टॉनिक का काम करे शंखपुष्पी

शंखपुष्पी:
शंखपुष्पी : अक्सर पढ़ाई में कमजोर रहने वाले बच्चों के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तना के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। इसके लगातार इसेताम से बच्चों की बुद्धि तीक्ष्ण और शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। शंखपुष्पी को शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक, प्राकृतिक स्मृति उत्तेजक, और एक अच्छी तनाव दूर करने की औषधी माना गया है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल अस्थमा के लिए किया जाता है। इसे अल्सर और दिल की बीमारी आदि के लिए भी बेहतरीन माना जाता है।




Photo - जानें, किस बीमारी में कौन सा पौधा है काम का
 अश्वगंधा के पौधे में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वजन घटाने, लकवा आदि से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। ये पौधे बुखार, संक्रमण और सूजन आदि शारीरिक समस्याओं के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। अश्वगंधा चाय पौधों की जड़ों और पत्तियों से बनी होती है। स्कूली बच्चों की याद्दाश्त को बढ़ाने में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से फायदा होता है, क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसमें हार्ट अटैक के खतरे को कम करने की क्षमता मौजूद होती है। यह मधुमेह से ग्रसित लोगों में मोतियाबिंद जैसी समस्या पर भी लगाम लगाता है। यहां तक कि अश्वगंधा के बारे में यहां तक कहा जाता है कि यह इसमें मौजूद ऐंटिऑक्सीडेंट कैंसर से लड़ने में भी मदद करता है। वैसे, इसके इस्तेमाल के लिए पहले डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए। वैसे अश्वगंधा चाय से किसी भी अन्य गंभीर बीमारी के उपचार से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। अश्वगंधा से शरीर मजबूत होता है। वजन कम करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। प्लेग के लिए यह रामबाण औषधि है। इससे टूटी हड्डी को भी जोड़ा जाता है।



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 नीम काफी आक्सीजन उत्सर्जित करता है, जिससे आस-पास की हवा शुद्ध रहती है। देखा जाए तो नीम के फायदे अंतहीन हैं। इसे 'घर का डॉक्टर' कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। यदि सर्दी-जुकाम हो तो इसकी पत्तियों को उबाल लें और इस पानी के भाप को सांस के जरिए अंदर लें। काफी आराम मिलेगा। नीम की पत्तियों को पीसकर चोट या मोच की जगह लगाने से काफी आराम मिलता है। कहते हैं बुखार में भी इसकी पत्तियां काम आती हैं। एक कप पानी में नीम की 4-5 पत्तियां उबालकर पीना फायदेमंद होता है बुखार के लिए। किसी तरह के त्वचा रोग से लड़ने में भी यह काफी मदद करता है। नहाते समय पानी में इसकी कुछ पत्तियों को मसलकर डाल दें और फिर इसी पानी से नहाएं।



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 तुलसी : औषधीय पौधों में तुलसी की सबसे ज्यादा अहमियत है। इसमें रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की गजब की शक्ति पाई जाती है। इसकी पत्तियों में अलग प्रकार का तेल मौजूद होता है, जो पत्तियों से निकलकर धीरे-धीरे हवा में फैलने लगता है। इससे तुलसी के आस-पास की वायु हमेशा शुद्ध और कीटाणु मुक्त होती है और इस वायु के सम्पर्क में आनेवाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। तुलसी की पत्ती, तना और बीज गठिया, लकवा तथा वात दर्द में भी फायदेमंद होते हैं। हर सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां खाने से रक्त विकार, वात, पित्त जैसी कई समस्याएं दूर होने लगती हैं।



Photo - जानें, किस बीमारी में कौन सा पौधा है काम का
 कहते हैं चिरौता का रस जॉन्डिस जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता हैष इसकी पत्तियों और बीजों का काढ़ा बना लेंष काढ़ा बनाने के लिए इसकी 50 ग्राम पत्ती को दो कप पानी में उबाल लें। जब यह पानी उबलकर आधी बचे तो इसका सेवन करें, यह जॉन्डिस के असर को कम करता है। इसकी पत्तियां पीसकर यदि दाद-खाज, खुजली पर लगाया जाए तो काफी फायदा होता है।



Football team of 18 tribal girls from Jharkhand heading for US tournament.

Football team of 18 tribal girls from Jharkhand heading for US tournament.

At a time when the entire world is glued to television sets to watch the World Cup, 18 tribal girls from Jharkhand's hinterland are busy sweating it out in the fields to hone their own dribbling and passing skills for the biggest tournament of their lives.
Buoyed by their performance in two Spanish tournaments last July, the YUWA team would again board the flight in the wee hours of Tuesday, this time to fly to the US to participate in the Schwan's USA Cup – the biggest international youth soccer tournament in the US – under the watchful eyes of the amateur coach Franz Gastler who is also the founder director of Yuwa.
“We have to sleep at night to wake up early in the morning for our own practice sessions. This time we have to win. So watching World Cup matches are difficult,” said the 13-year-old captain of the team.  
As part of the child protection policy YUWA India has decided to keep identity of the girls travelling to the US hidden. “After the Spain trip the then captain of the team had got several marriage proposals she was only sixteen and the parents were happy to marry her off before we counselled them,” Gastler said, adding that more these girls were getting popular in their villagers the more number of marriage proposals were coming to the parents.
The Yuwa founder director said that these girls are struggling against several odds to keep their football ambitions alive.

Founded in 2009, YUWA foundation is one of the largest girls' football programme in India with 250 players (mostly girls), which recently secured a bronze medal at Gasteiz Cup held in Spain.
The foundation uses football as a platform to combat child marriage and human trafficking for the empowerment and education of girls hailing from Ormanjhi on the outskirts of Ranchi. 
And they are no ordinary girls. All of them hail from some of the poorest of poor families where education was a far-fetched dream. Most of their elder sisters were married off before they could attain 18 years. But these girls had a dream to study, and play, and we are just fulfilling them, said Gastler, a 30-year old American who swapped his comforts for the dust and grime of Indian slums.Hailing from poor backgrounds and illiterate families, the girls faced snide remarks, and virtually no encouragement from villages as they donned jerseys and spike boots to practice football.But soon after the girls returned from Spain their families were flooded with marriage proposals. Pressure started mounting that they should be married off as they would find good grooms. But it is not just all about football. While the tournament will come to an end on July 19, the girls would stay back in the US till the end of July to tour several universities and institutions in Chicago and Minnesota.
They would be interacting with the university students and professors. We are exploring the possibilities so that some of the girls could go and study in the US in the future. The Indian community in the US is also helping us a lot in this regard and in arranging the logistics there," said Rose Thompson, Yuwa programme coordinator.

A ray of hope is, however, fast emerging from behind the clouds of poverty and illiteracy. Gastler said there has been a drastic change among parents and the community. After the team's performance in Spain, they went to Delhi, where they were again feted for playing well in other national tournaments. Leaders and celebrities both from Jharkhand and outside have praised them. Their confidence level has grown fast.My next plan is to buy a small plot of land near Ranchi and set up a residential football academy cum school for these children," Gastler added. Asked whether he has any plans to come to neighbouring West Bengal, a football crazy state, to set up a similar football infrastructure for girls and boys he said that proposals are pouring in from across the country.
But I have told everyone that they should take the initiative and Yuwa would provide the necessary help and back up. I don't want to grow a mile wide with just an inch deep," said Gastler.  

Gastler said, "Unlike the previous Spain visit they have received tremendous support from the passport and concerned departments. In fact the home department staff collected money and donated us for the girls' miscellaneous expenses during the trip."
The YUWA girls earlier this year were selected as brand ambassadors of the water and sanitation department for the ongoing Total Sanitation Campaign. The department went on to gift a toilet to every YUWA girl in their homes.