Tuesday 4 June 2013

लाल मिर्च /// Red Chili


लाल मिर्च के सेवन से मल-मूत्र में आने वाली समस्याएं दूर हो जाती है।


- लाल मिर्च खाना मोटापा कम करने और भोजन के बाद अधिक कैलोरी जलाने में मददगार हो सकता है।

- लाल मिर्च पर किए गए वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि इसमें से तत्व मौजूद हैं जो शरीर में उठने वाले दर्द के निवारण के लिए लाभदायक होती है।

- लाल मिर्च की लुगदी बना लें जिस ओर की आंख लाल हो या दर्द हो उसी पैर के अंगूठे पर व लुगदी का लेप करें, यदि दोनों आंख में हो रही हों तो दोनों में करें- 2 घंटे में आंख ठीक हो जायेगी।

- अशुद्ध पानी से पेट में होने वाली परेशानी है तो लाल मिर्च की चटनी को घी में छोंककर खाने से गंदे पानी का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

- अगर किसी को सांप कांट ले तो मिर्च कड़वी नहीं लगती । मिर्च खिलाने से विष खत्म होगा।

- विच्छू के काटने पर लाल मिर्च का लेप लगायें ठंडक पड़ जायेगी।

- गर्मी में हरी मिर्च खाने से इसके बीज अगर आपके पेट में हैं तो हैजा का डर नहीं होता है।

- हरी मिर्च खाने के साथ खाएं। अचार खाएं इसमें विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है।

- यदि गले में इन्फेंकशन हो गया हो या खांसी हो तो लाल मिर्च की चटनी अवश्य ग्रहण करें।

- आपको जिस तरह पसंद हो वैसे लाल मिर्च खाएं। लाल मिर्च बेसन में डालकर पकोड़े बनाकर खाएं।


गिलोय के अनुप्रयोग//Giloy

भिन्न रोगों और मौसम के अनुसार गिलोय के अनुप्रयोग: ---
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अगर platelets बहुत कम हो गए हैं , तो चिंता की बात नहीं , aloe vera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं .

कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें इसमें wheat grass का जूस और 5-7 पत्ते तुलसी के और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें . इसका सेवन खाली पेट करने से aplastic anaemia भी ठीक होता है .

गिलोए रस १०-२० मिलीग्राम, घृतकुमारी रस १०-२० मिलीग्राम, गेहूँ का जवारा १०-२० मिलीग्राम , तुलसी ७ पत्ते, नीम २ पत्ते, सुबह शाम खली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में लाभ होता है यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व् रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत लाभकारी है...

इसे रसायन के रूप में शुक्रहीनता दौर्बल्य में भी प्रयोग करते हैं व ऐसा कहा जाता है कि यह शुक्राणुओं के बनने की उनके सक्रिय होने की प्रक्रिया को बढ़ाती है । इस प्रकार यह औषधि एक समग्र कायाकल्प योग है-शोधक भी तथा शक्तिवर्धक भी ।

निर्धारणानुसार प्रयोग-जीर्ण ज्वर या ६ दिन से भी अधिक समय से चले आ रहे न टूटने वाले ज्वरों में गिलोय चालीस ग्राम अच्छी तरह कुचल कर मिट्टी के बर्तन में पाव भर पानी में मिलाकर रात भर ढक कर रखते हैं व प्रातः मसल कर छान लेते हैं । ८० ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार पीने से जीर्ण ज्वर नष्ट हो जाता है । ऐसे असाध्य ज्वरों में, जिसके कारण का पता सारे प्रयोग परीक्षणों के बाद भी नहीं चल पाता (पायरेक्सिया ऑफ अननोन ऑरीजन) समूल नष्ट करने का बीड़ा गिलोय ही उठाती है । एक पाव गिलोय ८ सेर जल में पकाकर आधा अवशेष जल देने से पर ज्वर दूर होता है व जीवनशक्ति बढ़ती है ।

पंचामृत - गिलोय-रस 10 से 20 मिलीग्राम, घृतकुमारी रस 10 से 20 मिलीग्राम, गेहूं का ज्वारा 10 से 20 मिलीग्राम, तुलसी-7 पत्ते, सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में अत्यन्त लाभ होता है। यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यन्त लाभकारी है। गिलोय - सर्दी जुकाम, बुखार आदि में एक अंगुल मोटी व 4 से 6 लम्बी गिलोय लेकर 400 ग्राम पानी में उबालें, 100 ग्राम रहने पर पीयें। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता/इम्यून सिस्टम को मजबूत कर त्रिदोषों का शमन करती है व सभी रोगों, बार बार होने वाले सर्दी, जुकाम बुखार आदि को ठीक करती है। घृतकुमारी - ताजा पत्ता लेकर छिलका उतारकर अन्दर के गूदेदार भाग या रस निकालकर 20 से 40 मिली ग्राम सेवन करें। यह सभी वात-रोग, जोड़ों का दर्द, उदर रोग, अम्लपित्त, मधुमेह इत्यादि में लाभप्रद है। तुलसी - प्रातः काल खाली पेट 5 से 10 ताजा तुलसी के पत्ते पानी के साथ लें।

इसका काढ़ा यूं भी स्वादिष्ट लगता है नहीं तो थोड़ी चीनी या शहद भी मिलाकर ले सकते हैं . इसकी डंडी गन्ने की तरह खडी करके बोई जाती है . इसकी लता अगर नीम के पेड़ पर फैली हो तो सोने में सुहागा है . अन्यथा इसे अपने गमले में उगाकर रस्सी पर चढ़ा दीजिए . देखिए कितनी अधिक फैलती है यह बेल . और जब थोड़ी मोटी हो जाए तो पत्ते तोडकर डंडी का काढ़ा बनाइये या शरबत . दोनों ही लाभकारी हैं . यह त्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं . गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है . इसे गिलोय सत कहते हैं . इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं . अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकते हैं .

यदि गिलोय को घी के साथ दिया जाए तो इसका विशेष लाभ होता है, शहद के साथ प्रयोग से कफ की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। प्रमेह के रोगियों को भी यह स्वस्थ करने में सहायक है। ज्वर के बाद इसका उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है। यह शरीर के त्रिदोषों (कफ ,वात और पित्) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है। गिलोय का उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातू विकार, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, चर्म रोग, झाइयां, झुर्रियां, कमजोरी, गले के संक्रमण, खाँसी, छींक, विषम ज्वर नाशक, सुअर फ्लू, बर्ड फ्लू, टाइफायड, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, पेट कृमि, पेट के रोग, सीने में जकड़न, शरीर का टूटना या दर्द, जोडों में दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदय दौर्बल्य, क्षय (टीबी), लीवर, किडनी, मूत्र रोग, मधुमेह, रक्तशोधक, रोग पतिरोधक, गैस, बुढापा रोकने वाली, खांसी मिटाने वाली, भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है। गिलोय भूख बढ़ाती है, शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। अमृता एक बहुत अच्छी उपयोगी मूत्रवर्धक एजेंट है जो कि गुर्दे की पथरी को दूर करने में मदद करता है और रक्त से रक्त यूरिया कम करता है। गिलोय रक्त शोधन करके शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करती है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्ट करता है। ह्रदय को मजबूत करती है। इसे चूर्ण, छाल, रस और काढ़े के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसके तने को कच्चा भी चबाया जा सकता है।

गिलोय के कुछ अन्य अनुप्रयोग :

गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग नाशक ,शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।
गिलोय के 6″ तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला ले इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये। और इसके साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती। और इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है।
गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है ।
गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा।
गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है।
क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बना कर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा।
एक चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बिमारियों में सुधार आता है और कब्ज दूर होती है।
गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है। और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है।
प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है, गिलोय का सेवन ज्वर के बाद टॉनिक का काम करता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करता है।
फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें। इस तेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है।
सुबह शाम गिलोय का दो तीन टेबल स्पून शर्बत पानी में मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है।
गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत होता है, उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है, गिलोय याददाश्त को भी बढाती है।
गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करे इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है।
मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।
गिलोय, धनिया, नीम की छाल, पद्याख और लाल चंदन इन सब को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस को सुबह शाम सेवन करने से सब प्रकार का ज्वर ठीक होता है।
गिलोय, पीपल की जड़, नीम की छाल, सफेद चंदन, पीपल, बड़ी हरड़, लौंग, सौंफ, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के एक चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्चे को पानी के साथ सेवन करने से ज्वर में लाभ मिलता है।
गिलोय, सोंठ, धनियां, चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना कर रोजाना दिन में तीन बार एक चम्मच भर लेने से बुखार में आराम मिलता है।
गिलोय, कटेरी, सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पीने से वात के ज्वर (बुखार) में लाभ पहुंचाता है।
गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है। और गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें इससे बारम्बार होने वाला बुखार ठीक होता है।गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकर लेने से जीर्ण-ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है।
गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो जाता है।
गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से सेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है। गिलोय के रस का सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होती है और दिल के रोग ठीक होते हैं।
गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है और गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिला कर काढ़ा बनाइये और इसमें शिलाजीत मिलाकर और पकाइए इस का नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।
गिलोय और नागरमोथा, हरड को सम मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना कर चूर्ण शहद के साथ दिन में 2 – 3 बार सेवन करने से मोटापा घटने लगता है।
बराबर मात्रा में गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसका एक चम्मच चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ सेवन करने से संभोग शक्ति मजबूत होती है।
अलसी और वशंलोचन समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, और इसे गिलोय के रस तथा शहद के साथ हफ्ते – दस दिन तक सेवन करे इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
लगभग 10 ग्राम गिलोय के रस में शहद और सेंधानमक (एक-एक ग्राम) मिलाकर, इसे खूब उबाले फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाएं इससे नेत्र विकार ठीक हो जाते हैं।
गिलोय का रस आंवले के रस के साथ लेने से नेत्र रोगों में आराम मिलता है।
गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसमें पीपल का चूर्ण और शहद मिलकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के रोग दूर हो जाते हैं और आँखों की ज्योति बढ़ जाती हैं।
गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाइए और सुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजली से छुटकारा मिलता है।
गिलोय के साथ अरण्डी के तेल का उपयोग करने से पेट की गैस ठीक होती है।
श्वेत प्रदर के लिए गिलोय तथा शतावरी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है।गिलोय के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से प्रमेह के रोग में लाभ मिलता है।
गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पीने से गर्मी के कारण से आ रही उल्टी रूक जाती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी बंद हो जाती है।
6 इंच गिलोय का तना लेकर कुट कर काढ़ा बनाकर इसमे काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पीने से साधारण जुकाम ठीक होगा।
पित्त ज्वर के लिए गिलोय, धनियां, नीम की छाल, चंदन, कुटकी क्वाथ का सेवन लाभकारी है, यह कफ के लिए भी फायदेमंद है।
नजला, जुकाम खांसी, बुखार के लिए गिलोय के पत्तों का रस शहद मे मिलाकर दो तीन बार सेवन करने से लाभ होगा।
1 लीटर उबलते हुये पानी मे एक कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें। इसका एक कप प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करें इससे खून साफ होता हैं और कोढ़ ठीक होने लगता है।
गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार प्रसूता स्त्री को पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है और बच्चे को स्वस्थ दूध मिलता है।
एक टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है।गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभ मिलता है खून साफ होता है और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
गिलोय का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है।
गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है।
या गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है।
गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है।गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाइए एक-डेढ़ माह बाद असर दिखाई देने लगेगा ।
गिलोय का एक चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है। गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
गिलोय का रस पीने से या गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है। या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट लें फिर एक गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं जब काढ़ा आधा रह जाये इसे सुबह-शाम पीयें प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
गिलोय के रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चे का सूखिया रोग जल्द ठीक होगा।
मात्रा : गिलोय को चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत् के रूप में 2 ग्राम तक क्वाथ के रूप में 50 से 100 मि. ली.की मात्रा लाभकारी व संतुलित होती है।





सौंफ/ Fennel


हरे धनिये से करें इलाज ये रोग एकदम ठीक हो जाएंगी ///Coriander

हरे धनिये से करें इलाज ये रोग एकदम ठीक हो जाएंगी



हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के कुछ ऐसे ही औषधिय गुणों के बारे में...

- इसके एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है।


- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरा धनिया की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है। डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।

300 news websites blocked in Jordan

300 news websites blocked in Jordan


Jordan has blocked unlicensed news websites in a step toward regulating online media widely criticised by the government and readers for sensational reporting, said its Press and Publication Department. The department, once officially called the Censorship Department cut access to 304 domestic online sites on Sunday and Monday. It said another 102 news websites remain accessible, because they are either licensed or seeking registration. Information Minister Mohammed Momani said the state was only seeking to regulate online media. The government recognizes media is one of the most important pillars of modern democracy, and strengthening it is a key component of Jordan’s political reform efforts”, said Mr. Momani. “We seek free and independent national media, with the highest standards of professionalism and credibility”, he said.“We will not allow personal attacks against individuals, or attacks against any groups or minorities”, he added, referring to some recent incidents in which online media were blamed for inciting religious or social prejudice and inaccurate reporting involving public figures. Targets of some of the articles claimed that some online editors sought bribes in return for halting publication of false rumours. But members of Jordanian media and the opposition party said the state is muzzling its critics. Daoud Kuttab, Chief Editor of blocked www.ammannet.net, said the government was “punishing the Jordanian people because it is preventing them from reading news about developments that concern them”.“We refuse to be intimidated by being forced to license,” he said.One of the websites was unblocked after its editor filed registration forms. The Muslim Brotherhood, Jordan’s largest opposition group, said in a statement that blocking online sites “is a provocation in line with the government practice of tyranny ... and to gag opposing opinion”. Last year, Jordan’s parliament passed a law requiring news websites to register with the Department of Press and Publication, once officially called the Censorship Department. Websites are also required to appoint a Jordanian Chief Editor who would be held accountable for all online content, including comments posted by readers. Under the law, the state has the authority to block websites, including those originating from abroad, if they are deemed in violation of the law. Since the Arab Spring uprisings that unseated four Arab leaders two years ago, Jordan has taken steps to ease restrictions on freedom of expression, opinion and assembly. The government also introduced special courts to deal with media cases, presided over by specialised civil judges. While the government approved a code of conduct several years ago with the intention of fostering a “free and independent media”, journalists are still closely watched by intelligence agencies and often report harassment and threats.

सफेद बालों के लिए घरेलू नुस्खे////////Home remedies for white hair

 प्याज का पेस्ट, वैरी बॅस्ट

प्याज आपके सफेद बालों को काला करने में मदद करता है। कुछ दिनों तक
रोजाना नहाने से कुछ देर पहले अपने बालों में प्याज का पेस्ट लगायें। इससे आपके सफेद बाल तो काले होने शुरू हो ही जाएंगे, लेकिन साथ ही बालों का गिरना भी रुक जाएगा।

नींबू और आंवला करे कमाल

बालों के लिए नींबू और आंवला कितने फायदेमंद है, यह बताने की जरूरत नहीं। विटामिन-सी से भरपूर ये दोनो पदार्थ बालों के लिए किसी अमृत से कम नहीं। अगर आप अपने सफेद बालों को काला करना चाह रहे हैं, तो नींबू
के रस में आंवले का पेस्ट मिलाकर सिर पर लगायें। नियमित रूप से ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपके बाल काले होना शुरू हो जाएंगे। आंवला खाने के अलावा, आंवले के पाउडर में नींबू मिलाकर नियमित रूप से लगाएं। शैंपू के बाद आंवला पाउडर पानी में घोलकर लगाने से बालों की कंडीशनिंग तो होती ही है, साथ ही इनका रंग भी बरकरार रहता है। 

बालों के फायदेमंद है तिल 

तिल का तेल तो बालों के लिए अच्छा होता ही है साथ ही इसका सेवन
भी बहुत लाभ पहुंचाता है। अगर आप अपने भोजन में तिल को शामिल कर लें
तो आपके बाल लंबे समय तक काले और घने बने रहेंगे।

दही और काली मिर्च

सप्ताह में तीन-चार बार आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाएं। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे। 

घी की मालिश, बड़ी कमाल 

आपने अपने घर के बुजुर्गो को सिर पर देसी घी से मालिश करते हुए देखा होगा। भले ही आपको यह अजीब लगे, लेकिन घी से सिर की त्वचा को पोषण
मिलता है। प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने
की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है

पुदीना के औषधीय प्रयोग


  • पुदीना के औषधीय प्रयोग

  • पुदीना, काली मिर्च, हींग, सेंधा नमक, मुनक्का, जीरा, छुहारा सबको मिलाकर चटनी पीस लें। यह चटनी पेट के कई रोगों से बचाव करती है व खाने में भी स्वादिष्ट होती है। भूख न लगने या खाने से अरुचि होने पर भी यह चटनी भूख को खोलती है।

  • खांसी होने पर पुदीने व अदरक का रस थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।
  • यदि लगातार हिचकी चल रही हो तो पुदीने में चीनी मिलाकर धीरे-धीरे चबाएं। कुछ ही देर में आप हिचकी से निजात पा लेंगे।

  • यदि आपको टॉंसिल की शिकायत रहती है, जिनमें अक्सर सूजन हो जाती हो तो ऐसे में पुदीने के रस में सादा पानी मिलाकर गरारा करना चाहिए।

  • दिनभर बाहर रहने वाले लोगों को तलुओं में जलन की शिकायत रहती है, ऐसे में उन्हें फ्रिज में रखे हुए पिसे पुदीने को तुलओं पर लगाना चाहिए, राहत मिलती है।

  • सूखा या गीला पुदीना छाछ, दही, कच्चे आम के पने में पिया जाए तो पेट में होने वाली जलन दूर होकर ठंडक मिलती है। लू से भी बचाव होता है।

  • जहरीले कीट के काटने पर उस जगह पिसा पुदीना लगाना शीघ्र लाभ पहुंचाता है। पुदीने की पत्तियां धीरे-धीरे चबाने से भी रोगी को राहत मिलती है।