Saturday 6 July 2013

सरसों सिर्फ सब्जी में ही काम नहीं आती, इससे ठीक हो जाती है ये बड़ी बीमारियां // Mustard does not just work in the vegetable, it is precisely these major diseases

 सिर्फ सब्जी में ही काम नहीं आती, इससे ठीक हो जाती है ये बड़ी बीमारियां // Mustard does not just work in the vegetable, it is precisely these major diseases
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सरसों की प्रजाति का राई एक महत्वपूर्ण मसाले के तौर पर हर भारतीय रसोई में उपयोग में लाया जाता है। सारे भारतवर्ष में राई की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। राई का वानस्पतिक नाम ब्रासिका नाईग्रा है और इसे काली सरसों के नाम से भी जाना जाता है। आदिवासी अंचलों में इसे मसाले के तौर पर अपनाने के अलावा अनेक हर्बल नुस्खों के रूप में भी आजमाया जाता है। चलिए आज जानकारी लेंगे आदिवासियों के उन नुस्खों के बारे में जिनमे राई को बतौर औषधि इस्तेमाल किया जाता है।

राई के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

राई के बीज में मायरोसीन, सिनिग्रिन जैसे रसायन पाए जाते है, ये रसायन त्वचा रोगों के लिए हितकर हैं। राई को रात भर पानी में डुबोकर रखा जाए और सुबह इस पानी को त्वचा पर लगाया जाए तो त्वचा रोगों में आराम मिल जाता है।

आदिवासियों के अनुसार राई के बीजों का लेप ललाट पर लगाया जाए तो सरदर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है। कुछ इलाकों में आदिवासी इस लेप में कर्पूर भी मिला देते हैं ताकि जल्दी असर हो।

चुटकी भर राई के चूर्ण को पानी के साथ घोलकर बच्चों को देने से वे रात में बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते है।

यदि किसी व्यक्ति को लगातार दस्त हो रहें हो तो हथेली में थोड़ी सी राई लेकर हल्के गुनगुने पानी डाल दिया जाए और रोगी को पिला दिया जाए तो काफी आराम मिलता है। माना जाता है कि राई दस्त रोकने के लिए अतिसक्षम होती है।

राई के बीजों का लेप और कपूर का मिश्रण जोड़ों पर मालिश करने से आमवात और जोड़ के दर्द में फायदा होता है। पातालकोट के कई हिस्सों में आदिवासी इस मिश्रण में थोड़ा से केरोसिन तेल डालकर मालिश करते हैं। कहा जाता है कि यह फार्मुला दर्द को खींच निकालता है।

राई के घोल को सिर पर लगाने से सर के फोड़े, फुन्सी और बालों का झड़ना भी बंद हो जाता है। डाँगी हर्बल जानकारों के अनुसार ऐसा करने से सिर से डेंड्रफ भी छूमंतर हो जाते हैं।

राई को बारीक पीसकर यदि दर्द वाले हिस्से पर लेपित किया जाए तो आधे सिर का दर्द माईग्रेन में तुरंत आराम मिलता है।

धुम्रपान से काले हुए होंठों को लाल या सामान्य करने के लिए अकरकरा और राई की समान मात्रा पीसकर दिन में तीन चार बार लगाते रहने से कुछ ही दिनों में होठों का रंग सामान्य हो जाता है।

राई के तेल को गर्म कर दो तीन बूँदे कान डाला जाए तो कान में दर्द होना बंद हो जाता है। जिन्हें कम सुनाई देता हो या बहरापन की शिकायत हो, उन्हें भी इस फार्मुले को उपयोग में लाना चाहिए, फायदा होता है।


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